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जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं, चंदन, रोली, तुलसी अर्पित करें। माखन-मिश्री और फल का भोग लगाकर आरती करें। मध्यरात्रि को शंख-घंटा बजाकर जन्मोत्सव मनाएं, और प्रसाद बांटें। व्रत रखें और श्रीकृष्ण मंत्रों का जाप करें।
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जन्माष्टमी की पूजा भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से मध्यरात्रि को होती है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे हुआ था। यहां जन्माष्टमी की पूजा विधि दी गई है:

1. साफ-सफाई और तैयारी:

  • सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को सजाएं। उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं और माला पहनाएं।

2. पूजा सामग्री तैयार करें:

  • भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र
  • पूजा थाली, धूप, दीपक, अगरबत्ती
  • ताजे फूल, तुलसी के पत्ते
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
  • मिठाई (माखन मिश्री, फल)
  • नारियल, रोली, चावल
  • झांझ, मंजीरा, शंख (अर्चना के लिए)

3. पूजा विधि:

  • ध्यान और संकल्प: भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें और संकल्प लें कि आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा कर रहे हैं।
  • पंचामृत स्नान: श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
  • वस्त्र और आभूषण: स्नान के बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं और आभूषण से सजाएं।
  • पूजन: भगवान को चंदन, रोली, और अक्षत (चावल) अर्पित करें। उन्हें फूलों की माला पहनाएं और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  • भोग अर्पण: भगवान को माखन, मिश्री, फल, मिठाई, और अन्य पकवानों का भोग लगाएं।
  • आरती: धूप, दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। शंख बजाएं और भजन गाएं।
  • कथा और ध्यान: श्रीकृष्ण की लीला और उनके जीवन से जुड़ी कहानियां सुनें या पढ़ें।
  • मध्यरात्रि का उत्सव: रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाएं। घड़ी के 12 बजते ही शंख, घंटा बजाएं और भगवान का नाम जपें।
  • प्रसाद वितरण: अंत में पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।

4. जन्माष्टमी व्रत:

  • जन्माष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है। दिनभर फलाहार करें और भगवान का ध्यान करें। व्रत का पारण अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है।

5. विशेष मंत्र:

  • पूजन के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
    • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
    • “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”
इस विधि से श्रीकृष्ण की पूजा करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

 

जन्माष्टमी पर कौन-कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं:
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”: यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का प्रमुख मंत्र है और इसे बार-बार जपने से मन को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
  • “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”: यह मंत्र गोविंद (श्रीकृष्ण) की आराधना के लिए उपयोग किया जाता है और इसमें उनका आह्वान होता है।
  • “ॐ श्रीकृष्णाय नमः”: यह साधारण लेकिन प्रभावशाली मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है।
  • “ॐ गोविंदाय नमः”: भगवान गोविंद (श्रीकृष्ण) की स्तुति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
  • “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे”: यह महामंत्र जन्माष्टमी के दिन विशेष रूप से जपा जाता है, खासकर कीर्तन और भजन के समय।

 

जन्माष्टमी के दिन व्रत कैसे रखा जाता है?

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का बहुत महत्व है। इसे रखने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
  • संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने व्रत रखने का संकल्प लें।
  • फलाहार: व्रत के दौरान फल, दूध, और सूखे मेवे का सेवन करें। दिनभर केवल इन्हीं चीजों का सेवन किया जाता है।
  • निर्जला व्रत: कुछ भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें पानी तक नहीं पिया जाता।
  • पूजा और भजन: दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, भजन और कीर्तन करते हुए समय बिताएं।
  • रात्री जागरण: श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की प्रतीक्षा करते हुए रात्री जागरण करें।
  • व्रत का पारण: अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में व्रत का पारण करें और सादा भोजन करें।

 

भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति कैसे सजाएं जन्माष्टमी पर?

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को विशेष रूप से सजाया जाता है:
  • वस्त्र: श्रीकृष्ण की मूर्ति को नए और रंग-बिरंगे वस्त्र पहनाएं। आमतौर पर पीले या सुनहरे रंग के वस्त्र भगवान को पहनाए जाते हैं।
  • आभूषण: भगवान को मुकुट, मोर पंख, कंठमाला, कानों के झुमके, और अन्य आभूषण पहनाएं।
  • माला: फूलों की माला पहनाकर भगवान को सजाएं। विशेषकर तुलसी के पत्तों की माला पहनाई जाती है।
  • तिलक: श्रीकृष्ण की मूर्ति के माथे पर चंदन, रोली, और अक्षत (चावल) से तिलक करें।
  • सिंहासन: मूर्ति को सुंदर सिंहासन पर बिठाएं, जिसे फूलों और अन्य सजावटी सामग्री से सजाया गया हो।

 

जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय के अनुसार होता है, जो कि रात 12 बजे होता है। पूजा का आरंभ सही मुहूर्त में करना महत्वपूर्ण है। चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था, इसलिए इस समय पूजा करने का विशेष महत्व है। दिनभर उपवास रखने के बाद मध्यरात्रि के समय पूजा करके व्रत का पारण किया जाता है।

 

जन्माष्टमी के भोग में कौन-कौन से प्रसाद चढ़ाएं?

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को विशेष प्रकार के भोग चढ़ाए जाते हैं:
  • माखन मिश्री: श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री बहुत प्रिय है, इसलिए यह भोग में अवश्य शामिल किया जाता है।
  • दही: दही का भोग भी भगवान को चढ़ाया जाता है।
  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से बना पंचामृत चढ़ाया जाता है।
  • फल: ताजे फल जैसे केला, सेव, और अनार का भोग अर्पित किया जाता है।
  • मीठे पकवान: लड्डू, पंजीरी, खीर, और अन्य मिठाईयों का भोग चढ़ाया जाता है।

 

जन्माष्टमी पर कौन-कौन से पूजन सामग्री का उपयोग होता है?

जन्माष्टमी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग होता है:
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र: पूजा का मुख्य केंद्र।
  • पंचामृत: स्नान के लिए।
  • ताजे फूल और तुलसी के पत्ते: अर्चना के लिए।
  • धूप, दीपक, अगरबत्ती: आरती के लिए।
  • रोली, चावल, चंदन: तिलक के लिए।
  • मिठाई, माखन, मिश्री: भोग के लिए।
  • जल, गंगाजल: स्नान और अर्पण के लिए।
  • माला, वस्त्र, आभूषण: मूर्ति सजाने के लिए।

 

जन्माष्टमी की पूजा में पंचामृत कैसे तैयार करें?

पंचामृत तैयार करना बहुत सरल है और इसे भगवान श्रीकृष्ण को स्नान कराने और भोग में अर्पित करने के लिए उपयोग किया जाता है:
  • दूध: एक कटोरी में ताजे दूध लें।
  • दही: दूध में एक चम्मच ताजे दही मिलाएं।
  • घी: एक चम्मच शुद्ध घी डालें।
  • शहद: एक चम्मच शहद मिलाएं।
  • शक्कर: अंत में एक चम्मच शक्कर डालें और सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं।

 

जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा कैसे करें?

जन्माष्टमी पर बाल गोपाल (श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप) की पूजा विशेष रूप से की जाती है:
  • स्नान: बाल गोपाल की मूर्ति को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
  • वस्त्र: उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं और मोर पंख से सजे मुकुट पहनाएं।
  • तिलक: बाल गोपाल के माथे पर चंदन और रोली का तिलक करें।
  • अर्चना: उन्हें ताजे फूल, तुलसी के पत्ते, और माला अर्पित करें।
  • भोग: माखन मिश्री, फल, और मिठाई का भोग अर्पित करें।
  • झूलन: बाल गोपाल को पालने में बिठाएं और उन्हें झूलाएं।

 

घर में जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें?

घर में जन्माष्टमी की पूजा सरल लेकिन श्रद्धा से भरी होनी चाहिए:
  • पूजा स्थल: घर के पूजा स्थल को साफ करके सजाएं।
  • मूर्ति स्थापना: भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • स्नान और सजावट: भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं, और आभूषणों से सजाएं।
  • पूजा सामग्री: चंदन, रोली, अक्षत, फूल, तुलसी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, और भोग की सामग्री तैयार रखें।
  • आरती और भजन: भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और भजन गाएं।
  • प्रसाद: भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद सभी में बांटें।
 

जन्माष्टमी पर पूजा के दौरान कौन-कौन से धार्मिक ग्रंथ पढ़ें?

जन्माष्टमी के दिन पूजा के दौरान निम्नलिखित धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जा सकता है:
  • श्रीमद्भगवद गीता: भगवान श्रीकृष्ण का प्रमुख उपदेश, जो कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया गया था।
  • भागवत पुराण: इसमें श्रीकृष्ण की लीला और उनके जीवन की कहानियां विस्तार से वर्णित हैं।
  • गोपाला सहस्रनाम: इसमें भगवान श्रीकृष्ण के 1000 नामों का संकलन है, जो जन्माष्टमी पर पढ़ा जाता है।
  • हरिवंश पुराण: इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके अद्भुत कार्यों का वर्णन है।
  • रामायण और महाभारत: इन ग्रंथों में भी श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाएं मिलती हैं, जिन्हें पढ़ा जा सकता है।

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